हरिद्वार से एक बड़ी खबर सामने आई है, रानीपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक आदेश चौहान को CBI कोर्ट ने 2009 के दहेज उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में छह माह की सजा सुनाई है। उनके साथ तीन पुलिस अधिकारियों समेत कुल पांच लोगों को भी दोषी ठहराया गया है। इस मामले ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई है, बल्कि कानून और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं।
क्या है पूरा मामला ? :- यह मामला 2009 का है, जब विधायक आदेश चौहान की भतीजी के दहेज उत्पीड़न के एक मामले में उनके पति मनीष ने गंभीर आरोप लगाए थे। मनीष का दावा था कि विधायक के दबाव में पुलिस ने उनके साथ मारपीट की और झूठे साक्ष्य गढ़कर उन्हें फंसाने की कोशिश की। इस घटना ने उस समय खासा सुर्खियां बटोरी थीं। मनीष ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई CBI जांच :- मनीष की याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए CBI को जांच सौंपने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पुलिस और विधायक की भूमिका की निष्पक्ष जांच के लिए CBI को निर्देश दिए। लंबी और गहन जांच के बाद CBI ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसके आधार पर कोर्ट ने विधायक आदेश चौहान, रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक आरके चमोली (दिवंगत), इंस्पेक्टर राजेंद्र कुमार, दिनेश कुमार और अन्य को दोषी ठहराया।
CBI कोर्ट का फैसला: दोषियों को एक-एक साल की सजा :- CBI कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सभी दोषियों को एक-एक साल की सजा सुनाई है। हालांकि, विधायक आदेश चौहान को छह माह की सजा दी गई है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पुलिस ने विधायक के दबाव में मनीष के साथ मारपीट की और झूठे साक्ष्य बनाए, जो कानून का दुरुपयोग है। इस फैसले को लेकर हरिद्वार और उत्तराखंड की सियासत में हलचल तेज हो गई है।
क्या होगा विधायक की सदस्यता पर असर ? :- इस सजा के बाद अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या आदेश चौहान की विधानसभा सदस्यता पर कोई असर पड़ेगा। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सजा दो साल से कम है, तो विधायक की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द नहीं होगी, लेकिन इस मामले में उनकी अपील और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सब कुछ निर्भर करेगा। फिलहाल, यह मामला उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है।




0 Comments